महादेवी वर्मा

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~~~~~~~~~~~~~~~_बाबूलालशर्मा,विज्ञ_
.                       *दोहा छंद*
.                 🌹 महादेवी 🌹
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छायावादी  काल  में, हुए  चार कवि  स्तंभ।
महा  महादेवी  हुई, एक  प्रमुख  थी  खंभ।।

सन  उन्नीस् सौ सात में, माह  मार्च छब्बीस।
जन्म फर्रुखाबाद में, फलित कृपा जगदीश।।

इन्हे आधुनिक काल की, मीरा कह उपनाम।
करे प्रशंसा लोग सब, किए काव्य हितकाम।।

कहे  निराला जी  बहिन, सरस्वती नव नाम।
भाई सम रखती  उन्हे, विपदा  में कर थाम।।

उपन्यास लिखती कभी, कथा कहानी गीत।
नारायण वर्मा  सुजन, पति साथी मन मीत।।

दीपशिखा  अरु  नीरजा, सांध्यगीत  नीहार।
रश्मि  सप्तपर्णा  रची, चकित  हुआ संसार।।

काव्य  अग्निरेखा  रचे, और  प्रथम आयाम।
रेखा चित्रों  में  रचित, संस्मरण   सुख धाम।।

भाषण और निबंध के, लिखे संकलन अन्य।
गौरा गिल्लू की कथा, पढ़कर हम सब धन्य।।

दीप गीत  नीलांबरा,  यामा  में  लिख  गीत।
परिक्रमा अरु  सन्धिनी, गीतपर्व  शुभ प्रीत।।

मिला  पद्म भूषण  उन्हे, ज्ञान पीठ  सम्मान।
पद्म विभूषण  भी मिला, बनी हिंद पहचान।।

माह  सितम्बर में गए, ग्यारह दिवस  प्रयाग।
सन सत्यासी में  मिला, स्वर्ग वास  अनुराग।।

नीर भरी  दुख की घटा, नारी  का  प्रतिमान।
भाग्य पुरुष  का मेघ सा, बनी  नई पहचान।।

नमन करें मन भाव से, वंदन सहित सुजान।
शर्मा बाबू लाल कवि, विज्ञ लिखे शुभ मान।।
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✍©
बाबू लाल शर्मा बौहरा विज्ञ
 निवासी - सिकंदरा,  दौसा
 राजस्थान ३०३३२६
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