सच्चा क्रोध करें...
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*सच्चा क्रोध करें*
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बाबूलाल शर्मा©
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क्रोध समय पर करते है
तो राहू केतु कट जाते है
देवों को अमृत मिलता है
शिव नीलकंठ बन जाते हैं👆
क्रोध समय पर करते है
खर दूषण मारे जाते हैं
क्रुद्ध जटायू अमर बने
बाली भी मारे जाते है👆
क्रोध समय पर करते है
तब सागर तारे जाते है
होता लंका का दर्प चूर्ण
रावण से मारे जाते है👆
क्रोध समय पर करते तो
महमूद भी बचकर न जाता
गजनी, तुर्की तक हम होते
गौरी भी दुबारा नहीं आता👆
क्रोध समय पर कर ते तो
खिलजी का राज नहीं चलता
रजिया,बलबन की हस्ती क्या
बाबर का वंश नहीं चलता👆
क्रोध समय पर करते तो
नादिर, तैमूर नहीं बचते
तुर्क,फ्रासिसी और विदेशी
क्लाइव,कर्जन नही जमते👆
क्रोध समय पर करते तो
वे राज फिरंगी नहीं होते
मातृभूमि परतंत्र न होती
भारत के लाल नहीं सोते👆
क्रोध समय पर करते तो
कश्मीरी पंडित नहीं भगते
हम सवा अरब सेनानी हैं
आतंक पड़ौसी क्या करते👆
जब शकुनि दाँव खेलते हो
वे धर्मराज को ठगते हो
दुशासन दुष्ट बने फिरते
पांचाली चीर हरण होते👆
वे धीर वीरजन तुम ही तो थे
सब मौन साध चुप ही तो थे👆
पर शिशुपाल मदमाते हो
जब सौ गाली दे जाते हो
तब क्यों न कृष्ण का धैर्य छँटे
क्यों न शिशुपाल का शीश कटे👆
हम इतिहासों का शोध करें
तो क्यों न समय पर क्रोध करें👆
क्रोध समय पर नहीं करते
तब महाभारत रच जाते है
सब शांति प्रयास विफल होते
रण के बाजे बज जाते है👆
तब कान्हा गीता गाते है
वे रण का नाद सुनाते है
अर्जुन गांडीव उठाते है
सब कर हथियार सुहाते है👆
भाई के भाई दुश्मन हो
लाखों योद्धा मर जाते है
कौऐ स्वान लाश नोचते
गीदड़ त्यौहार मनाते है👆
चहुँ ओर विनाशक बोध करे
तो क्यो न समय पर क्रोध करे👆
जब नन्द वंश के वैभव से
उस अत्याचारी शासन से
उस महा सिकन्दर सेना से
पोरस राजा की दृढता से👆
आम्भि नरेश कुटिलता से
अपनी ही कथित संपदा से
सैल्यूकस की क्षमता से
भारत में आई विपदा से👆
यह भरत खण्ड विखण्ड करे
तब क्यो न फिर भी क्रोध करे?
चाणक्य कहाँ तक सहन करे
क्यो न चल चन्द्र की खोज करे👆
उस नंद वंश का नाश करे
अखण्ड देश विधान करे
वो सैल्यूकस का मान हरे
तब अर्थशास्त्र का गान करे👆
चाणक्य शिखा तब खुलती है
जब जब मनमानी खलती है
जब जन मन तान बिगड़ती है
जब माँ भारती मचलती है👆
जब अंग्रेज़ी फरमानो से
उनके बढते अत्याचारों से
भारत माँ का अपमान लगे
जन जन क्रांति पैगाम जगे👆
घर घर स्वराज का शोर जगे
तो क्यों न किसी का क्रोध जगे
मंगल पाण्डे क्यूँ मौन बनें
क्यों न क्रांति का बिगुल बने👆
ताँत्या टोपे दम भरते हों
जब जुल्म फिरंगी करते हों
जब रणचण्डी रण मत्त लगे
तो क्यों न किसी का क्रोध जगे👆
अंग्रेज़ी बंदिश खलती हो
देशी रजवाड़ सिसकती हो
जब भगत सिंह उद्घोष करे
तो क्यों न भारती क्रोध करें👆
जब 'इंकलाब' उद्घोष करे
सेनानी सब मिल जोर करे
तब भी क्यूँ कोई मौन धरे
तब उठकर सच्चा क्रोध करे👆
फाँसी चूमे, बलिदान करें
पर देश को हम आजाद करे
क्रोधित हो जिन्दाबाद करे
इस देश को हम आबाद करें👆
*वर्तमान समय मेः*........
जब बेरोजगारी बढ़ती हो
सरकारें कुछ नहीं करती हो
जब,जब परिवार बिखरते हों
जब सद्व्यवहार सिमटते हो👆
जब आतंकी धमकाते हो
जब नेता ही भरमाते हो
नित नव घोटाले करते हो
जब जब मजदूर विलखते हो👆
जब दीन किसान कलपते हों
जब बाड़ खेत को खाते हो
दिल में तूफान न थमते हों
जन मानस द्रोह मचलते हो👆
फिर क्यों न मन विद्रोह जगे
तो क्यों न किसी का क्रोध जगे👆
पर "शिखा नहीं कौटिल्य नहीं"
अब कृष्ण नहीं, गांडीव नहीं
अब तिलक गोखले धीर नहीं
शेखर सुभाष से वीर नहीं👆
जब न्याय ही दंडित होता हो
जब क्रोध ही कुंठित होता हो
निर्धनता भारी बोझ लगे
तब बैठ बिठाए क्रोध जगे👆
तब हँस हँस के हम ताली दें?
या इक दूजे को गाली दें?
या क्रोधित होना बंद करे?
या अपनी आवाज बुलंद करें?👆
तब सब मिलकर विद्रोह करें
तब मिलकर सच्चा क्रोध करें👆
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सादर🙏🏻
*बाबू लाल शर्मा*
सिकन्दरा,दौसा
©
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