मात शारदे...
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*मात् शारदे...*
स्तुति
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मात् शारदे सबको वर दे,
तम हर ज्योतिर् ग्यान दें।
शिक्षा से ही जीवन सुधरे,
ज्ञान मान सम्मान दे।
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चले लेखनी सरस हमारी,
ब्रह्म सुता अभि नंंदन में।
सैनिक,कृषक,श्रमी,नारी,
और मानवता के वंदन में।
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उठा लेखनी, ऐसा रच दें,
सारे काज सँवर जाए।
संस्कार मरयादा वाली ,
प्रीत की रीत निखर जाए।
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पकड़ लेखनी मेरे कर में,
ऐसा गीत लिखा दे माँ।
निर्धन,निर्बल,लाचारों को,
सक्षमता दिलवा दे माँ।
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जयजवान,जयकिसान का,
अमर त्याग लिखवा दे माँ।
मेहनत कश व मजदूरों का,
स्वर्णिम यश लिखवादे माँ।
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शिक्षक और लेखकों को ,
गुरु का मान दिला दे माँ।
मानवता से भटके मनुको,
मनु की प्रीत सिखा दे माँ।
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हर मानव मे मानवता के,
सच्चे भाव जगा दे माँ।
देश धरा पर बलिदानों के,
स्वर्णिमअंक लिखा दे माँ।
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शब्द पुष्प चुनचुन कर मैं,
शब्द माल में जोड़ू माँ।
भाव,सुगंध आप भर देना,
मै तो दो 'कर' जोड़ूँ माँ।
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मातुकृपा से हर मानव को,
मानव की सुधि आ जाए।
मानवता का दीप जले माँ,
जनगणमन की पीड़ा गाएँ।
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कलम मेरी,तलवार बनादो,
क्रूर कुटिलता कटवा दो।
तीखे शब्द बाण से माता,
तिमिर कलुषता मिटवादो।
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सादर🙏🏻,
*बाबू लाल शर्मा*
सिकंदरा,दौसा
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