आहिस्ता चल

🌾🌿🌾🌿🌾
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
बाब लाल शर्मा©
'''''''''''''''''''""""""""""""""""""
*आहिस्ता चल*

🌹🌹🌹

👉
ऐ वक्त जरा आहिस्ता चल,
कुछ कर्ज चुकानेे बाकी है।
जीवन के सफर में शेष रहे,
कुछ फर्ज निभाने बाकी है।
ऐ वक्त जरा .................👆

👉
जन्म लिया जिस धरती पर,
उसका ही भार है शेषअभी।
निज मातृभूमि की रक्षा का
दायित्व निभाना  बाकी है।
ऐ वक्त जरा .................👆

👉
कुछ अपनेपन का कर्जा है,
कुछ   इंसानी यह   दर्जा है।

ये रूहानी  कर्जे     शेष रहे,
कुछ दर्द भी सहने बाकी है।
ऐ वक्त जरा..................👆

👉
कुछ देश धर्म का कर्जा है,
तोे पितृ कर्म भी करना है।
पिताधर्म अपना ही लिया,
तो नियम निभाने बाकी है।
ऐ वक्त जरा .................👆

👉
इस जग के गोरख धन्धो से,
खुद को सुलझाना शेषअभी।
कुछ मुझे सीखना शेष अभी,
औरों को सिखाना बाकी है।
ऐ वक्त जरा .................👆

👉
कुछ शौक,मौज भी करने है,
तो शोक , मौन  भी रखने है ,
कुछ  अपने   कुछ   सब के,
अभी स्वप्न संजोने  बाकी है ।
ऐ वक्त जरा ..................👆

👉
इन निर्मल मन के लोगो हित ,
उन कपटी , दम्भी  दुष्टों को।
कुछ सबक सिखाने शेषअभी,
कुछ  नेह   निभाने  बाकी है।
जिन्दगी तू भी आहिस्ता चल,
कुछ फर्ज निभाने शेष अभी।
कुछ  कर्ज   चुकाने  बाकी है।
ऐ वक्त........................👆

👉
हर कुल मे जन्मी कन्या को,
सम्मान  दिलाना शेष अभी।
हर    बेटी को सिखलाना है,
कुछ और भी  कर्जा लेना है।
तो  मूल  चुकाना  उसका भी,
फिर ब्याज चुकाना बाकी है।
ऐ वक्त जरा..................👆
🌹🌹

सादर🙏,
  ✍©
बाबू लाल शर्मा व.अ.
नि.सिकन्दरा,दौसा
🌴🌴🌴🌴🌴🌴
""'''''"""""""'"''""''''"""''''''''''""""'

Comments

Popular posts from this blog

सुख,सुखी सवैया

गगनांगना छंद विधान

विज्ञ छंद सागर