मेरे गाँव में....

.............🦅.निजमत.🦅........
            *मेरे गांव में*.......
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अमन चैन खुशहाली बढ़ रही ,
           अब तो मेरे गांव में,
हाय हलो गुडनाइट से,
          मोबाइल बजते गांव में।

टेढ़ी ,बाँकी टूटी सड़कें
        धचके खाती कार  में,
नेता अफसर और डाँक्टर
        भी आते कभी कभार में।

पण्चू दादा हुक्का खैंचे,
          चिलम चले चौपाल मे,
गप्पेमारी ताश चौकड़ी,
          खाँप चले चौपाल में।

रम्बू बकरी भेड़ चराता,
          घटते लुटते जंगल में,
मल्ला काका दांव लगाता
          कुश्ती मेले दंगल में।

एकलपाइंट ही पनघट बन गया
          पानी गया ...पताल़ मे,
भाभी काकी पानी भरती,
         बहुएँ रहे मलाल... में।

भोले भाले खेती बाड़ी,
      रात ठिठुर पाणत करते है,
मजदूरों के टोल़े मे भी
         पेट अन्न पेट से भरते है।

चोट चुनाव मे दारु पीते,
          लड़ते मनते गांव में,
पर दुखःसुख में साझी रहते,
         अब ...भी मेरे गांव में।

सरपंचो के बंगले बन गये
          अब तो मेरे गांव में,
रामसुखा की वही झोंपड़ी
         कुछ शीशम की छाँव में।

कुछ पढ़कर नौकर बन जाते,
            अब तो मेरे गांव मे,
शहर में जाकर रचते बसते,
           मोह नही फिर गांव में।

अमरी दादी मंदिर जाती,
           नित तारो की छांव में,
भोपा बाबा झाड़ा देता ,
           हर बीमारी भाव मे।

नित विकास का नारा सुनते
         T.V.अर् अखबार से,
चमत्कार की आशा रखते,
        थकते नहिं सरकार से।

फटे चीथड़े गुदड़ी ओढ़े,
         अब भी नौरंग लाल है,
स्वाँस दमा से पीड़ित वे तो,
           असली धरती लाल है।

धनिया अब भी गोबर पाथे,
          झुनिया रहती छान मे,
होरी अब भी अगन मांगता,
          दें  कैसे ...गोदान में।

बीमारी की दवा न होती,
         दारू मिलती गांव में,
फटी जूतियाँ चप्पल लटके,
        शीत घाम निज पाँव में।

गाय बिचारी दोयम हो गई,
        डेयरी खुल गई चाव में,
मांगे ढूंढे छाछ न मिलती ,
,       मिले न घी अब गांव में।

अमन चैन खुशहाली बढ़ रही ,
       अब तो मेरे गांव में,
हाय हलो गुडनाइट से,
       मोबाइल बजते गांव में।
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सादर 🙏🏻
बाबू लाल शर्मा
सिकंदरा,दौसा

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