कटी पतंगे...

🦅 *कटी पतंग*  🦅
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जीवन दिन दिन उड़े पतंग सा,
पर औरों की पतंग ना काटें,
सबसे हिल मिल जीवन सजता,
सुख भी बाँटे,दुख भी बाँटे।

जीवन जिनसे जुड़ा हुआ है,
वे पतंग की डोर हैं,
बिना डोर के पतंग न पहुँचे,
कभी गगन की ओर है।

कटी पतंगे झटके न फाड़े,
उनको आज सहेजे हम,
दीन, हीन ,व वृद्ध जनो के,
रहते कभी कलेजे हम।

कटी पतंगों का हम मिलकर ,
अमन चमन सम्मान रखें,
बंधी डोर से छूट रहे जो,
उनका फिर स्वाभिमान रखें।

कटी पतंगे फिर से जोड़े,
आश और विश्वास से,
उनके जीवन मे रस घोलें,
सत्य समर्पण भाव से।

कटी पतंगे फट गल न जाए,
या कोई भी लूट न लें,
हम मिल सार सँभाले उनकी,
कहीं कभी वे टूट न लें ।
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सादर🙏
बाबू लाल शर्मा
सिकन्दरा,दौसा

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