धरापुत्र को उसका हक दें

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बाबू लाल शर्मा  ©
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*धरा पुत्र*
*को*
*उसका हक दें*
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अन्न उगाए , कर्म  देश  हित,
कुछ अधिकार इसे भी दे दो।
मेघ  मल्हारें दे  न सको  पर,
सावन का अरमान ही दे दो।👆

टीन , छप्परों  में रह  लेता,
खेतों पर जगते....सो लेता,
धूप,शीत,दुख हँसता रहता 
हिम शीत गिरे तब रो लेता👆

वर्षा रूठ रही तो क्या है,
वर्ष .... निकलते रहतें है।
फसलें सूख रहीं तो क्या?
अरमान सिसकते रहतें है।👆

बच्चों की .शिक्षा का,क्या,
वे अन पढ़ जैसे    रहतें है।
कर्जे ,गिरवी , घर के खर्चे, 
सदा चीखते .......रहतें है।👆

नृप वही दिगम्बर खेतों का,
मई जून दिसम्बर चैतों का।
हक मांगे तो मिलें गोलियाँ,
नंगे तन खाए....बैंतों का।👆

कुछ फसल बचे तो सेठ भरे,
पिछले कर्जे  मय ब्याज भरे।
बिजली बिल, बैंक उधारी दे,
या मनु ,राधा की फीस भरे👆

बिटिया के पीले हाथ करे,
माँ,बापू  का उप चार करे।
राजस्व मुकदमे  कोर्ट करे,
या गिरते घर की छान धरे।👆

सब की थाली भरने वाला,
रूखी रोटी खाता.....क्यों।
सब को दूध पिलाने वाला,
बिना छाछ रह जाता क्यों।👆

रहन रखे  अपने खेतों कोे,
बैंक में जा  रिरियाता क्यों।
सबको अन्न खिलाने वाला,
बोलो..फाँसी खाता क्यों।👆

धरती के धीर सपूतों की,
सच  सारी साधें  पूरी हों।
आने वाली पीढ़ी को भी,
कुछ  सौगात  जरूरी हों।👆

इससे ज्याद धरा पूत को,
और कोई  दरकार  नहीं।
आप सुनो न , हम सुनते,
न राम सुने ,सरकार नहीं।👆

धरापुत्र को उसका हक दें,
हक है  कोई...खैरात नहीं।
मत भूलो आज जमाने में,
इससे ऊँची सौगात  नहीं।👆

जाग उठे ये   भूमिपुत्र तो,
तख्त-सिंहासन .खैर नहीं।
लोकतंत्र  की सरकारों के,
निर्धारक हैं......गैर नहीं।👆

भू सपूत भगवान ही तो हैं,
अन्न दाता वरदान ही तो हैं।
जब फटेहाल यह रहता हो,
लगे धरा शमशान ही तो हैं।👆

"मेरेदेशकीधरतीसोनाउगले'
यह गौरवगान किसान से है।
"सोने की चिड़िया"कहलाया,
यह,भी वरदान,किसान से है👆

इनके तो पेट चिपकते  हों,
तुम दूध दही घी.. .पीते हों।
ये सबके हित में दुख झेलेे,
तुम मौज,शौक में जीते हो।👆

इनके हक,छीन,छीन कर,
तुम ठाठ बाट से रहते हो।
इनके घर जीर्ण शीर्ण कर,
तुम राज पाट में रहते हो।👆

वोट किसानी,जीते हो तुम,
ये अब्बा   की जागीर नहीं।
ठकुर सुहाती करे  तुम्हारी,
कृषकों की ...तासीर नहीं।👆

सुनले,नेता अधिकारी अब,
भारी अमला सरकारी सब।
मत किसान को तड़पाओ,
नही,.भूलोगे अय्यारी सब।👆

यदि परिवर्तन का चक्र चले,
पहले सब सुन्दर साज जलेंं।
इनका खोने को क्या, बोलो,
जब बंगले,कोठी,कार जले👆

निज राज,राम,से हार रहे,
गैरो की......औकात नहीं।
धरा पुत्र हो  दुखी  देश में,
और...शर्म की बात नहीं।👆

"जय जवान,जय किसान"
के  नारे  का सम्मान  करें।
नारे .....साकार तभी होंगें,
इनका जीना आसान करें।👆

खाद,बीज औजार दिला दो,
बिजली ही बिनदाम दिला दो।
जीने का अधिकार दिला कर,
फसल का पूरादाम दिला दो।👆

पीने और  सिंचाई  लायक,
पानी,की सुविधा दिलवादो।
मंदिर,मस्जिद मुद्दे से पहले,
घर घर शौचालय बनवादो।👆

हँसते सुबहो,शाम ही दे दो,
मनसे मनका मान ही दे दो।
बच्चों का  पालन हो  जाए,
सावन का अरमान ही दे दो।👆
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सादर🙏,
बाबू लाल शर्मा 'बौहरा'
सिकंदरा,दौसा(राज.)©
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