नमामि माता

🌸 *नमामि माता*🌸
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*मात् प्रकृति* ब्रह्मांड सुसृष्टा,
कुल संचालन करती है।
सूर्य,चन्द्र,नक्षत्र,सितारे,
ग्रह,उपग्रह,सब सरती है।
उस माता का वंदन करलें,
पर्यावरण संरक्षण करलें,
ब्रह्मांड सतुलन बना रहे बस,
निज मन में संकल्प ये करलें🙏🏻
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*माँ* धरती सहती विपुल भार,
निज तन पर धारण करती है।
अन,धन,जल,थल,जड़ चेतन,
सबका सम् पालन करती है।
उस धरती का संरक्षण,
अपनी जिम्मेदारी हो।
विश्व *सुमाता* पृथ्वी रक्षण,
महती सोच हमारी हो🙏🏻

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*माँ* भारती,निज देश की,
नित आरती उतारती।
निज पुत्रों के सृजन कर्म से,
सबका भाग्य सँवारती।
इसकी बलिवेदी बनी रहे,
बस इतना सा अरमान रहे।
दुष्टजनों के आतंको से,
मुक्त रहे *माँ* भान रहे🙏🏻

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*मात्* शारदे सबको वर दे,
तम हर ज्योतिर्ग्यान दें।
शिक्षा से ही जीवन सुधरे,
संस्कार , सम्मान दे।
चले लेखनी सतत हमारी
ब्रह्मसुता अभिनंंदन में।
सैनिक,कृषक,दीन दुखियों,
और मानवता के वंदन में🙏🏻

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*माँ* जननी है हर दुख हरनी,
प्राणों का जो सृजन करे।
जिसका आँचल स्वर्ग से सुन्दर,
कैसे गौरव गान करें।
उस माँ का सम्मान करें हम,
वह भी शुभफल पा जाए।
सोच समर्पण की रखले तो,
  वृद्धाश्रम  *माँ* क्यों जाए।🙏🏻

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*गौमाता* है मात सरीखी,
भारत में सनमानी है।
युगों युगों से महत्ता इसकी,
जन गण मन ने मानी है।
भौतिकता की चकाचौंध में ,
गौ और हम अखाद्य न खाएँ।
अल्प श्रमी हम बन जाएँ,
*माँ* बूचड़खाने न जाएँ।🙏🏻

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*माँ* गंगा, माँ यमुना अपनी,
कावेरी सी सरिताएँ।
धरती का श्रृंगार ये करती,
लगे खेत ज्यों वनिताएँ।
इनका भी हम मान करे ये,
कभी तृषित न हो पाएँ।
सब पापों को हरने वाली,
*माता* दूषित न हो जाएँ🙏🏻
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सादर🙏🏻,
बाबू लाल शर्मा
सिकंदरा,दौसा

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