कन्हैया... काहे गरब करे

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*कन्हैया...काहे गरब करे*
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गोवर्धन उठाय कन्हाई
गिरिधर नाम धरे।
उस पर्वत से भारी जग में,
बेटी जनम धरे।
बिटिया के यौतक(दहेज)
का पर्वत,
कहाँ तक पिता भरे।

बता हम कैसे जतन करें,
गिरधारी कान्हा,काहे गरब करे👆

👉
एक लाक्षागृह से बचाकर,
तू क्यों ? जग को भ्रमित करे।
हर घर में लाक्षागृह पलते,
अब कहाँ तक जतन करें।

कन्हैया प्यारे काहे गरब करे,
बता हम कैसे जतन करें👆

👉
महाभारत लड़वाय कन्हाई,
कुरूक्षेत्र में नृत्य करे।
घर-घर कुरु क्षेत्र बने है,
महाभारत से सत्य भरे।

बता हम कैसे जतन करें,
कन्हैया छलिया,काहे गरब करे👆

👉
इक शकुनि की चाल टली नहीं,
नटवर नाम धरे।
अगनित नटवरलाल बने हैं,
शकुनि स्वांग धरे।

बता हम कैसे जतन करें,
साँवरिया नटवर,काहे गरब करे👆

👉
इक अर्जुन का मोह मिटाए,
गीता अमर करे।
जन-मन मोहित मायाभ्रम से,
समझत पाप करे।

बता हम कैसे जतन करें,
कन्हैया मोहन,काहे गरब करे👆

👉
कालिए फन पर नाच कन्हाई,
तन-मन श्याम करे।
नागनाथ अर साँपनाथ दल,
छल-बल नृतन करे।

बता हम कैसे जतन करें,
गोपाला प्यारे,काहे गरब करे👆

👉
कितने धृतराष्ट्र,दुर्योधन,
दुशाःसन से कर्म करे।
भीष्म,विदुर,सब मौन धरे हैं,
शकुनि कपट करें।

बता हम कैसे जतन करें,
कन्हैया छलिया,काहे गरब करे👆

👉
एक कंस नहीं जिसको मारे,
कैसे पूतनाएं संहारे।
मानव बम्म बने आतंकी,
दुष्कर्मों के सम्मुख हारे।

बता हम क्या-क्या जतन करें,
कन्हैया मेरे,काहे गरब करे👆

👉
इक मीरा को बचा लिए तुम,
तिस पर गरब करें।
घर-घर मीरा मरती है,
वृंदावन में भीर भरे।

बता हम क्या-क्या जतन करें,
गिरधर नागर,काहे गरब करे👆

👉
कितने शिशुपाल मदमाते,
कर्ण सरीखे पुत्र मरे।
माता कुन्ती जैसी दुविधा,
गांधारी से नेत्र भरे।

बता हम क्या क्या जतन करे।
चक्र सुदर्शन धारी,
कान्हा,काहे गरब करे👆

👉
विप्र सुदामा मित्र बनाकर
तू उपकार करे।
बहुत सुदामा,विदुर बहुत है,
बहुत ही दीनानाथ परे।

बता हम क्या क्या जतन करे।
कन्हैया प्यारे काहे गरब करे👆

👉
जरासंध से बचते कान्हा,
सागर जाय तरे।
गली गली अब जरासंध है,
हम कित कूप परे।
बता हम क्या क्या जतन करे।
साँवरे......काहे गरब करे👆
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©✍
बाबू लाल शर्मा "बौहरा"
सिकंदरा,दौसा,राज.

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