सैनिक :अभिलाषा
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*सैनिक :अभिलाषा*
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वैज्ञानिक बनकर न जाऊं,
चन्द्र ,ग्रहों की खोजों पर।💥
नहीं विमान उड़ाना चाहूं
सागर पर,नभ मौजों पर।💥
सौंप-समर्पण कर माँ मुझको,
भारत माँ के चरणों में।💥
अभिलाषा रजकण बनजाऊं,
सेना के उपकरणों में।💥
नहीं इच्छा है वीर चक्र या,
परम वीर सम्मान मिले ।💥
चाह नहीं है यह भी मुझको
कुछ ऊँचे अरमान मिले ।💥
नहीं चाहता पद् वृद्धि हो,
ऊँचा अफसर बन जाना।💥
सिंहासन,सत्ताधीशों या,
राज की नजरें चढ़ जाना।💥
ऊँचे ऊँचे पदक जीतकर,
सत्ता में पद हथियाना।💥
आरामी के,साज,सजाना
और प्रमादी हो जाना।💥
चाह नहीं है स्वर्ण सींचकर
मै धनपति माना जाऊं।💥
या फिर मै धरती को घेरूं,
और महिपति कहलाऊं।💥
यह भी चाह नहीं मेरी तो,
संतानो की बगिया झूमूं।💥
समृद्धि गुण गौरव गाते
देश, विदेशों , तीरथ घूमूं।💥
मेरी तो बस चाह एक,यह
*वरण देश के हित मे हो।*💥
मै तो माँ सैनिक हूँ , मेरा,
*मरण देश के हित में हो।*💥
लिपट तिरंगे मे घर आऊं,
यह भी मेरी चाह नहीं।💥
बोटी,कतरा-कतरा बिखरे,
इसकी भी परवाह नहीं।💥
अभिलाषा रजकण बनजाऊं
सेना के उपकरणों में।💥
मैं तो सैनिक हूँ मिट,जाऊं
*भारत माँ के चरणों में।*💥
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सादर,🙏
बाबू लाल शर्मा,'बौहरा"
सिकंदरा,दौसा,राज.
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