पिता
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💥-- *पिता* --💥
"सम्मानार्थ शब्दमाल"
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जो जीवनप्राण देता है
सहारा घर का होता है
नहीं कहता वो ईश्वर है
रब से कम नहीं होता🙏🏻
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मिले बल ताप व ऊर्जा
सृजन,पोषण भी होता है
नहीं कहता ,वह सूरज है
सूर्य् से कम नही होता🙏🏻
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मिले चहुँ ओर से छाँया
शीत और ताप से रक्षण
नहीं कहता वो अम्बर है
गगन से कम नहीं होता🙏🏻
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करे अपना सतत रक्षण
शीत या शत्रु के भय से
नहीं कहता हिमालय है
हिमाचल सा ही होता है🙏🏻
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बसेरा सब जन को देता
स्वयं साधु सा बन रहता
नहीं देखा अगर वट वृक्ष
पिता बरगद सा होता है🙏🏻
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जो तन क्षार - क्षार करले
वह दानी - कर्ण सा होता
मरण की बात यदि आए
पिता दशरथ सा होता है🙏🏻
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जगा जब भोर मैं जल्दी में
उसे *पूरव* ही देखा ..है
भोर - तारे की नही कहता
जागते पिता को देखा है🙏🏻
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उलझनें 'जब भी आती हैं
*उत्तर* उसी से दिखता है
मै ध्रुव जी की नही कहता
उत्तर पिता से मिलता है🙏🏻
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क्या कहते हो नही रोता?
रुदन में स्वर नहीं रहता ?
सुनो ! नगराज सा रिसता
पिता का नेत्रजल झरता🙏🏻
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सरिताओ का यह बहना
हिमालय श्वेद ..की धारा
पिता के श्वेद--बिन्दु से
नही पावन कोई धारा 🙏🏻
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पर्वत से बहा,नीर है झरने
सुता के हाथ,पीत है करने
पहाड़ी..झरने .से बढ़ कर
पिता कीआँखके झरने🙏🏻
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सिन्धु गहन धीर खारा है
पिता का श्वेदनीर खारा है
समन्दर है बड़ा ! लेकिन
पिता कब धीर हारा है🙏🏻
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मुंशी प्रेम चन्द का 'हीरो'
गोदान... भरा संघर्षों से
पिता ही दीखें 'होरी' सा
खटता पिटता वर्षो से🙏🏻
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"मुखिया मुख सो चाहिए"
कह गये ..तुलसी दास
मुखिया मुख सा परखिए
पिता हमारे सबसे पास🙏🏻
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पिता के भाव जब जागे
हरिक हद पार कर जाता
न देखे रात ,बाढ़ ,नदिया
बस वसुदेव बन जाता🙏🏻
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प्राणी जात कुदरत से
संतति- मोह है पाता
मनुअवसर जो पा जाए
वह धृतराष्ट्र हो जाता🙏🏻
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प्रेम की बात निराली है
प्रेम दीवाना कर जाता
सुत प्रेम पुत्र हत भ्रम मे
गुरू द्रोण कट जाता🙏🏻
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सोचता हर पिता ऐसे कि
पुत्र पीड़ा को पी जाता
हुमायू बीमार हो लेकिन
बाबर खुद ही मर जाता🙏🏻
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दीवारें अहं खण्डहर कर
संतति , नींव बन जाता
पिता जो खुद इमारत था
कभी दीवार बन जाता🙏🏻
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विजित रहने की तमन्ना
पुरष के खून मे हर बार
पुत्र को प्रबल सबल कर
पिता चाहता निज हार🙏🏻
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देवो से डरा न दुनिया से
अभावों शत्रु से नहीं हारा
मगर हो संतति बेदम तो
पिता संतान से हारा 🙏🏻
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हसरतें पालते सब है
महल रुतबा बनाने का
पिता अरमान सृजता है
विरासत छोड़ जाने का🙏🏻
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पिता ने लिया कुछ तो
बड़े वरदान दे जाता
ययाति,भीष्म की बातें
जमाना याद करता है🙏🏻
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नरेशों की रही फितरत
युद्ध और घात की बातें
पुत्र हित राज तज दे ते
स्वयं वनवासी हो जाते🙏🏻
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कभी नाराज न करना
वह भावि का नियंता है
हिरण्यकश्यप हो जाता
पिता जब क्रुद्ध होता है🙏🏻
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वज्रसी पीठ अर् काँधे
जन्मभर दम दिखाते है
जनाजा संतति का देखे
पिता दम टूट जाते है🙏🏻
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वज्रसीना, गर्म तेवर
गरूरेदम जो बन जाते
विदा बेटी के होते पल
पिघल धोरे से बहजाते🙏🏻
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माँ की महिमा ममता
त्याग,धैर्य,समता बाते
शक्ति बिंदी,मेंहदी का
स्रोत पिता को पाते🙏🏻
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ताकत शौहरत रुतबा
दौलत त्याग प्रेम बाते
धैर्य मोहगुण पिता को
माँ से ही मिल पाते🙏🏻
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अस्थियाँ दान में दे दी!
दधीचि नाम,ऋषि का
स्वर्ग के देवताओं पर
यहअहसान ऋषि का
मगर सर्वस्व जो दे ते
कऱें सम्मान उनका भी
पिता ऐसा ही होता है
रहेअहसास इसका भी🙏🏻
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सादर✍
*बाबू लाल शर्मा*
बौहरा ©
सिकंदरा,दौसा,राज.
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