मै भी चाहूं प्यार करूं
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बाबू लाल शर्मा ©
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*मै भी चाहूँ प्यार करूं*
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रिमझिम बरसाते आती हों,
पढ़ पढ़ संदेश सुनाती हो,
खिड़की से तान मिलाती हो,
रह रह आँखे चमकाती हो।🙏
कर्तव्य विमुख क्यूँ मौन धरूं,
क्यों न उठ कर आभार करूं,
ऋतु पावस का सत्कार करूं,
माँ के आँचल श्रृंगार करूं।🙏
श्रम श्वेद संग वर्षा में गाऊं,
मै,भी कुछ श्रम साध्य करूं,
तब मै भी चाहूं प्यार करूं,
माँ से,वसुधा से प्यार करूं।🙏
मेरी माँ, धरती माँ मानूं,
दोनो का सम्मान करूं,
धरती,माँ को सपूती करूं,
मैं तो सब से प्यार करूं।🙏
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लगती दिल आलिंगन सी,
स्वर सरगम हिय बंधन सी,
मन मे तूफान से उठते हो,
जब नेह दुलारे रिश्तें हों।🙏
जाति-धर्म निर् बंधन जानूं,
मैं क्यू निज या पर की मानूं,
क्यू न चल कर दरकार बनूं,
कुछ इनके मन की बात सुनूं।🙏
बिटिया को शिक्षादान करूं,
मैं अपने मन की बात करूं,
तब मै भी चाहूँ प्यार करूँ,
बेटी संग प्यार-दुलार करूं।🙏
बेटी के सनमान के खातिर,
तिल तिल जीऊं और मरूं,
इनके हितचित जीवनअर्पण,
तब मैं भी चाहूं प्यार करूं।🙏
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जल घट प्यासे को ललचाए,
कलियाँ भँवरो को बहकाए,
ये श्वाँस सुगन्धी सिहर उठे,
तन,मन के भाव हिलोर उठे।🙏
ऐसे मौसम तन मन न बहके,
मै, मनु मानव मनुहार करूं,
इनकी सबकी पीड़ाओं मे से,
मैं किसको अस्वीकार करूं।🙏
सब अपने ही ये परिजन है,
सबसे ही सद्व्यवहार करूं,
तब मैं भी चाहूं प्यार करूं,
मैं मानवता से प्यार करूं।🙏
जन की सेवा हरि की सेवा,
मैं हरिजन सेवा जतन करूं,
मैं भी मेटूँ कुछ पीर पराई,
मैं मनु, मनुज से प्यार करूं।🙏
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जब विष घट पूरा भर जाए,
नयनों से पावक बरसाए,
तब आकुलअधर बुलाते हों,
तन मन संत्रास जगाते हों।🙏
ये ऐसे आकर्षक आमंत्रण,
मै दिल से अंगीकार करूं,
जय जवान व जय किसान,
फिर दीन हीन उपकार करूंँ।🙏
सबके पोषित सम्मान करूं,
भारत माँ जयजयकार करूं,
तब मै भी चाहूँ प्यार करूं,
अपने भारत से प्यार करूं।🙏
अपना वतन,अपना तिरंगा,
इतिहास संस्कृति गान करूं,
संविधान गुरु गौरव अपना,
मैं इन सबसे प्यार करूं।🙏
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सादर,🙏
बाबू लाल शर्मा, बौहरा
सिकंदरा,दौसा(राज.)
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