आओ सैर कराँ दौसा की...

💥💥💥💥💥
🙏🏻आइए आपको
हमारे यहाँ दौसा की सैर
करवादें 🙏🏻
मेरा जिला,मेरी बोली,
मेरा गाँव ,संस्कृति,रीति,
पर्यटन,इतिहास,फसल
सब से रुबरू.....🙏🏻
..तो आइए🙏🏻
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🙌 *दौसा दर्शन* 🙌बी.एल.शर्मा
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आओ सैर कराँ दौसा की,
नामी बड़गूजर धौंसा की।
सूप सा किल्ला दौसा की,
नीलाकंठाँ   दौसा     की।
गाँवा कस्बाअर् शहराँ की,
देव  नगरी  दौसा ...👈

यातो जिलो बड़ो ही  नामी,
ईंका माणस  भी सर नामी।
पचपन याद करै बचपन की
मनसां पढ़ बा लिख बा की।
आपणै    साक्षर दौसा  की,
आओ सैर................👈

ई मै छात्र बड़ा  अजबेला,
दे वै  माँ  बापाँ  नै   हेल़ा।
आखर ज्ञान  सिखाबा नै,
कलक्टर  खैवे पढ़बा की।
उन्नति   कर बा दौसा की,
आओ सैर ..............👈

देखो  लालसोट  अल बेलो,
छतरी ख्यालन् को छै हेलो।
देखो मंडावरि  गजबाँ  की,
पपलज   माता सगलाँ की।
डूँगर   रेल   सुरंगा      की,
आओ सैर ...............👈

बसवा  रही   पुरानी पूँजी,
डाइट,भांडा,दरगाह गूँजी।
रेलाँ   बाँदीकुई   मै  देखी,
गजबण आभानेरी झाँकी।
गरबीली     दौसा      की,
आओ सैर...............👈

सिकराय तहसिल सरनामी,
हिंगलज माता का मेला की।
घाटा  मेंहदी पुर      दरबार,
हाजिरी  हनुमत  बाला  की।
देखो  गाँव  सिकंदरा नामी,
पत्थर नक्काशी की झाँकी।
लकड़ी  सौड़ रजाई  बाँकी,
आओ सैर..... ......... 👈

महवा पाटोली को  लेखो,
होल़ी    पावटा   मै  देखो।
महुवा किला मैं देवी माता
पाछै  मण्डावर  की बातां
पीतल नगरी   बाला हेड़ी,
नामी   मंडी    महवा  की।
कीमतन् फसलां दौसा की,
आओ सैर.............  👈

लवाण तहसिल नई नवेली,
खादी दरियाँ    ईं की भेल़ी।
नाहन   पाटन    नीचै दाबी,
अब तो नई नाथ की झाँकी।
मेरे    प्यारा    दौसा     की,
आओ सैर.......... .... 👈

दौसा तहसिल  देवगिरी मैं,
शिवजी पाँच पंच सा जीमैं।
होटलराव भांडरेज  चोखी,
गिरिरज धरण  की झाँकी।
सड़काँ ,रेलाँ का  छः ठाठ,
बसन्ती  पाँचै   मेला   की।
मनसा डोवठा   खाबा की,
आओ सैर कराँ..........👈

मोदक गीजगढ़ का खाओ,
साथै किलो घूम कर आओ।
झाझी रामपुरा मैं    न्हाओ,
भोजन  सेठसाँवलिये पावो।
दाल़   पचवारा की   ढबकी,
मारो   आलूदा  मै   डबकी।
बिनोरी  बालाजी कै ढोकी,
आओ सैर.......  .......👈

आभानेरी    घणी  पुराणी,
भंडा भद्रा कुण अणजाणी।
चाँद    बावड़ी  फिर  देखो,
हर्षद माता   की    झाँकी।
सल्ला बाबू लाल शर्मा की,
आओ सैर ..............👈

नन्दी   बाण गंगा      यामै,
मोरेल सावाँ    सूरी   सागी।
बन्दा   कालाखो अर् देखो,
माधो सागर   की   झाँकी।
बोली मीठी  छः     ढूँढाड़ी,
आओ सैर ...............👈

हींगवा      नाथन्   की गद्दी,
छावणी      दादू  पंथ्या  की।
सारो जिलो घूमकर   देख्यो,
अब ल्यो दरगाह हजरत की।
इबादत कर ल्यो कुदरत की,
आओ सैर........ .....  👈

सुन्दर दास   संत की नगरी,
देखो    दादू धाम   टहलड़ी।
गेटोलाव    घना  को   रूप,
विरह  का पंछी कुरजाँ  की।
प्रवासी   पक्षी कलरव   की,
आओ सैर.............. .👈

नींबू   कैरी  आम   करूंजा,
छांया    पीपल   नीम    की।
फसलाँ बाड़ी चोखी निपजै,
लकड़ी   नामी    बौंल़ी  की।
डेयरी सरस बड़ी धीणा की,
आओ सैर.......  ...... 👈

फैंटा    चूनड़ी     फहराबो,
सादा जीवन   सादा खाबो।
सुड्डा दंगल     हेला   गाबो,
पील़ी    लूगड़ी     लहराबो।
गंगा  जमनी रीति  याँ   की,
आओ सैर कराँ .........👈

सादर,🙏🏻 ✍
रचनाकार ©ढूँढाड़ी
बाबू लाल शर्मा,बौहरा
व.अध्यापक
नि.सिकन्दरा,दौसा,
राज.303326
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