प्यार

  प्यार
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जब रिमझिम वर्षा आती हों,
ज्यों  गीता  ज्ञान  सुनाती हो।
खिड़की से तान  मिलाती हो,
मुझको  मानो  उकसाती  हो।🙏

श्रम श्वेद संग वर्षा में  गाऊं,
मै,भी कुछ श्रम साध्य करूं।
माँ का उज्जवल भाल करूँ,
माँ संग वसुधा से प्यार करूं।🙏

माता और धरती भी जननी,
दोनो का हित सम्मान  करूं।
धरती संग माँ भी रहे सपूती,
तब  मैं भी चाहूँ  प्यार करूं।🙏

भाती है  दिल  आलिंगन सी,
स्वर सरगम हियके बंधन सी।
मन मे  शुभ भाव  सँवरते हो,
जब  नेह   दुलारे   रिश्तें  हों।🙏

जाति-धर्म   निर् बंधन जानूं,
मैं  क्यू निज या पर की मानूं।
क्यू न चल कर  पतवार बनूं,
कुछ इनके मन की बात सुनूं।🙏

बिटिया को शिक्षादान करूं,
मैं अपने पन की बात करूं।
तब मै भी  चाहूँ  प्यार करूँ,
बेटी संग स्नेह-दुलार करूं।🙏

जन  की सेवा हरि  की सेवा,
मैं हरि जन सेवा  कार  करूं।
मैं  भी  मेटूँ  कुछ  पीर पराई,
हूँ मनुज,मनुज से प्यार करूं।🙏

*जब विष घट  पूरा भर जाए,*
*नयनों  से   पावक   दहकाए।*
*कुछ आकुल अधर बुलाते हों,*
*तन  मन  संत्रास   जगाते हों।*🙏

*ये कड़वे आकर्षक आमंत्रण,*
*मै  दिल  से  अंगीकार  करूं।*
*जय  जवान  व जय किसान,*
*फिर दीन हीन उपकार करूंँ।*🙏

*अपना भारत,अपना तिरंगा,*
*इतिहास,संस्कृति गान करूं।*
*संविधान , संसद  गौरव   हो,*
*तब मैं  भी चाहूँ  प्यार करूं।*🙏

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सादर,🙏
बाबू लाल शर्मा, बौहरा
सिकंदरा,दौसा(राज.)
9782924479
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