दीपशिखा
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"""""""""""""""""बाबूलालशर्मा
🌹 *दीप शिखा* 🌹
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(रानी झांसी से प्रेरणा )
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सुनो:- बेटियों जीना है तो,
उसी शान से मरना सीखो।
या तो दीपशिखा हो जाना,
या घटनाएं पढ़ना सीखो।
मनुबाई भी दीपशिखा थी,
तब देश में राजफिरंगी था।
दुश्मन पर भारी पड़ती थी,
वह,अंग्रेज़ी राज दुरंगी था।
बहा पसीना उन गोरों को,
अर् कुछ द्रोही रजवाड़े में।
तलवार थाम हाथों में रानी,
जब उतरी युद्ध अखाड़े में।
अंग्रेज़ी पलटन में उसने,
तब भारी मार मचाई थी।
पीठ बाँध निज बेटे को,
वह समरक्षेत्र में आई थी।
अब भी पूरा भारत गाता,
वह रानी तो मरदानी थी।
मनुबाई छबीली रानी की,
वह तो अमर कहानी थी।
प्राणों में देशप्रेम की हाला,
वह रण चण्डी दीवानी थी।
खूब लड़ी मरदानी वह तो,
तुमने भी सुनी कहानी थी।
भारत की बिटिया थी वे,
झाँसी की महा रानी थी।
हम भी साहस सीख सके,
इसलिए रची कहानी थी।
दिखा गई पथ सबको वह,
निजआन मान सम्मान रहे।
मातृभूमि के हित में लड़ना,
जब तक तन में प्राण रहे।
नत मस्तक नही होना बेटी,
देख के निज नाजुक काया।
कुछ पाना तो पाओ अपने,
बल,कौशल,प्रतिभा, माया।
स्वयं सुरक्षा कौशल सीखो,
सबके दुख: संताप मिटाने।
दृढ़ चित बन कर जीवन में,
व्यवहारिक संत्रास मिटाने।
मलयागिरि सी बनो सुगंधा,
कोयल बुलबुल सी चहको।
स्वाभिमान के खातिर बेटी,
काली रणचण्डी सी दहको।
तुम भी दीप शिखा के जैसे,
रोशन हो तम को हर जाना।
झांसी की महा रानी जैसे,
पथ आलोकित कर जाना।
बहिन,बेटियों साहस रखो,
मरते दम तक श्वांसों में।
रानी झाँसी बन कर जीना,
नहीं आना जग झाँसों में।
बचो, पढ़ो व बढ़ो बेटियों,
चतुरसुजान सयानी होना।
अबला से सबला बन कर,
झाँसी सी मरदानी होना।
दीपक में बाती सम रहना,
दीपशिखा बन रोशन रहना,
सहना नहीं है अनाचार को,
अगली पीढ़ी से भी कहना।
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✍✍©
बाबू लाल शर्मा, बौहरा, सिकन्दरा
जिला--दौसा,राजस्थान
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दीपशिखाः-बिटिया प्रेरक रचना
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