मातृशक्तिःवन्य भेड़िये
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"""""""""""""""""""बाबूलालशर्मा
. 🌼 *मातृशक्ति*🌼
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मानव तुम को आजीवन,
धरती ने माँ सम पाला है।
बन,दानव तुमने वसुधा में,
क्यूँ,तीव्र हलाहल डाला है।🤷♀
मानव ने खो दी मानवता,
निज छुद्र स्वार्थ के फेरों में।
माँ का अस्तित्व बना हुआ,
अब आशंकाओं के घेरों में।🤷♀
वसुधा का श्रृंगार छीन लिया,
जंगल पेड़ खतम कर डाले।
जल, खनिजों का दोहन कर,
माँ के तन मन दे दिए छाले।🤷♀
माँ के मुकुट से मोती छीने,
क्यूँ, पर्वत नंगे जीर्ण किए।
मनु तू माँ को घायल करता,
उन घावों को कौन सिंए।🤷♀
माँ की नसों में अमृत बहता,
वे सरिताएँ दूषित कर दी है।
मलयागिरि सी पौन धरा पर,
क्यूँ उसे प्रदूषित कर दी है।🤷♀
मातृशक्ति के गौरव अपमाने,
ओ,मनुज तू भोले अपराधी।
जिस शक्ति को आर्यावर्त में,
देव शक्तियों ने भी आराधी।🤷♀
मिला मनुज तन दैव दुर्लभम्,
क्यों "वन्य भेड़िये" बनते हो।
अपनी माँ और बहिन बेटियां,
क्यूँ उनको तुम यों छलते हो।🤷♀
माँ की सुषमा नष्ट करे नित,
क्यूँ,कंक्रीट से उसको सींचे।
मातृ शक्ति की पैदाइश तुम,
उनके शुभ्र केश क्यों खींचे।🤷♀
ताल तलैया सागर,नाड़ी,जल,
सरिताओं को मत अपमानो।
क्षितिजल,पावकगगन,समीरा,
इनसे मिलकर जीवन मानो।🤷♀
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✍©
बाबू लाल शर्मा "बौहरा"
सिकन्दरा 303326
दौसा,राजस्थान 9782924479
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