पालीथिन खतरे
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""""""""""'''''''''''""""""""""""""""बाबूलालशर्मा
. 🌴 *पालीथिन खतरे*🌴
1..🌼
बोरे से कट्टे भये , फिर थैला थैली होय।
मानव इतना क्यों गिरे, पालीथिन संजोय।।
2..🌼
कपड़े के थैले भले, रखो साज सामान।
पाँलीथिन की थैलियाँ,भले बिगाड़े मान।।
3..🌼
पालीथिन प्रचलन बढ़ा,भरे जगत घर द्वार।
धरती सागर गउ नदी, पर्यावरण बिगार।।
4..🌼
गउ माता बीमार है, जुठन पाँलिथिन खाय।
रूक गये नाले नालियां, कोई नहीं उपाय।।
5..🌼
मनुज पर्यावरण हिते,पाँलीथिन अब रोक।
खेत कुएँ घर भर रहे, धरती करती शोक।।
. 🌼 *कुण्डलिया* 🌼
बढ़ते खतरे स्वास्थ्य के पाँलीथिन सम्पर्क।
गाय खेत नदियां मरे, अब तो बनो सतर्क।
अब तो बनो सतर्क,पाँलीथिनहि दुतकारो।
कपड़े थैले जूट, साथियों फिर सतकारो।
कहे लाल कविराय, निवेदन सब से करते।
चेत सके तो चेत, मनुज नित खतरे बढ़ते।
✍🙏©
बाबू लाल शर्मा "बौहरा"
सिकंदरा,दौसा, राज.
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