हुलियार ः सुमुखि सवैया

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~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
🌞  *सुमुखि सवैया छंद* 🌞
*विधान:-* सात जगण + लघु गुरु
१२१ × ७ + १२,
११,१२ वर्ण पर यति,
दो पद सम तुकांत
.        🤷‍♀ *हुलियार* 🤷‍♀
.        .....👀🌳👀.....
बसंत चले पुरवाइ थमे ,
.    तब,भोर सुहावन लागि भली।

अनाज पके,सरसों सिमटे,
.     मन मोर नचे मन चाह अली।

गुलाब,कनेर गुँथे गजरे,
.    रमणी मिलने मनमीत चली।

दिनेश तजी निज शीतलता,
.    मन होलिन मानस प्रीत पली।
.        .....👀🌳👀....
सुरंग,गुलाल अबीर लिए,
.    हुलियार बने सब साथ चले।

कन्हाइ बने सिरमौर सभी,
. मन चाह सखी सब गैल मिले।

छिपाइ सखी वृष भानु सुता,
.    तब पीपल पेड़ विशाल तले।

निगाह पड़ी सब की उन पे,
.   फिर खूब सुरंग गुलाल मले।
.       ......👀🌳👀.....
सनेह सुधारस पान किए,
.    सब गोरि कपोल अबीर सने।

सखी वृषभानु सुता मिलके,
.  तब कान्ह सखा सब संग जने।

मचा हुड़दंग अबीर उड़े,
.     हुलियार विचित्र चरित्र बने।

कहीं तन रंग सने मन में
.   कछु लाजन लाल कपोल घने।
.        ......👀🌳👀....
✍©
बाबू लाल शर्मा, बौहरा
सिकंदरा,303326
दौसा,राजस्थान,9782924479
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