मेरा भारत

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~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
*विजात छंद विधान*
१२२२     १२२२
१२२२     १२२२
१४ मात्रिक छंद

.     "मेरा भारत"

सुहाना  देश  भारत  है।
शहीदों की  विरासत है।
जहाँ   गंगा  बहे  प्यारी।
कथा यमुना कहे न्यारी।

हिमालय शान है ऊँची।
अजंता  प्रेम  की कूँची।
स्वर्ण पंछी  इसे  कहते।
गुरू  माने  सभी  रहते।

कहें हम  भारती माता।
विधाता  मान  मैं गाता।
करें हम गाय की पूजा।
बखाने  धर्म  भी  दूजा।

सभी का मान  करते हैं।
तभी   ईमान  निभते  हैं।
हमारे देश  की  जय  हो।
शहीदी शान की जय हो।
.           👀👀
✍©
बाबू लाल शर्मा "बौहरा"
सिकंदरा, 303326
दौसा,राजस्थान,9782924479
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Comments

  1. बहुत ही सुन्दर रचना

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