मरदानी होली
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~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
*चंपकमाला छंद विधान*
10 वर्ण , १६ मात्रिक
भगण मगण सगण गुरु
२११ २२२ ११२ २
दो दो पद समतुकांत हो।
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. *होली मरदानी*
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रंग सजे सीमा पर सारे।
शंख बजाए कष्ट निवारे।
संकट आतंकी बन बैठे।
कान उन्हीं के वीर उमेंठे।
राष्ट्र सनेही भंग चढ़ालो।
शत्रु समूहों को मथ डालो।
ओढ़ तिरंगा ले बन शोला।
केशरिया होली तन चोला।
याद करे संसार रुहानी।
खेल सखे होली मरदानी।
चेत सके आतंक न प्यादे।
चंग सखे ऐसी बजवादे।
फाग रमे खेले हम होली।
झेल सकें सीमा पर गोली।
लाल गुलाबी रंगत होनी।
भूमि हमारी रक्तिम धोनी।
शीश उतारे शीश कटा दें।
भारत माँ की शान बढ़ा दें।
चंग बजा लें शंख बजा दें।
रंग लगा दें रक्त बहा दें।
गीत सुना हूँकार सुनाएँ।
शेर दहाड़े गीदड़ जाए।
देश हमारे फागुन होली।
सैनिक सीमा रक्त रँगोली।
घात लगाते कायर घाती।
वीर लड़े ये छप्पन छाती।
खूब जलाते हैं हम होली।
युद्ध करें ये सैनिक टोली।
रंग लगाएँ प्रेम करेंगे।
सीम सुरक्षा काज लड़ेंगे।
मान तिरंगे का रखना है।
गान शहीदी का रटना है।
झेल सको बंदूक सुवीरों।
खेल सको होली रणधीरों।
देश हमारा शान हमारी।
पर्व बहाना बात सँवारी।
भारत माँ की सूरत भोली।
चाहत सीमा खून व गोली।
ताकत वीरों खूब सतोली।
मर्द बनो खेलो अब होली।
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✍©
बाबू लाल शर्मा "बौहरा"
सिकंदरा,303326
दौसा,राजस्थान,9782924479
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