शिव

👀👀👀👀👀👀👀
~~~~~~~~बाबूलालशर्मा

.         *तंत्री छंद*
विधान-प्रतिचरण३२मात्रायें
८,८,६,१० मात्रा पर यति
चरणांत २२, चार चरण
दो दो चरण समतुकांत।
.          *शिव*

हे  कैलाशी , घट  घट वासी,
मन मेरा ,दर्शन  अभिलाषी।
हे  शिव  शंकर , प्रलयंकारी,
तांडव कर,भोले अविनाशी।

डमरू  वाले ,  गौरी  शंकर,
कर त्रिशूल, बाघम्बर धारी।
हे,जगपालक, जगसंहारक,
भूतनाथ, शिव  मंगलकारी।

कंठ हार  में,  नाग  सोहते,
नीलकंठ,  भोले  त्रिपुरारी।
जटाजूट सिर, चन्द्र गंग है,
भंग विल्व, संगत आहारी।

हे   परमेश्वर , करता   सेवा,
विनती सुन, ले नाथ हमारी।
दुष्टदलन कर,भक्तों के हित,
निर्मल जग,देना अविकारी।

नयन तीसरा, नहीं खोलना,
समय  नहीं,  देवा आया है।
सृष्टि हमारी ,कृपा आपकी,
चलने दो, प्रभु की माया है।

ध्यान रखों प्रभु,ध्यान लगाते,
उत्तम पथ, मानव मन धारें।
अन्यायी  अरु, आतंकी  के,
सम्मुख प्रभु,हम कभी न हारे।
.           👀
✍©
बाबू लाल शर्मा "बौहरा"
सिकंदरा, दौसा (राज.)
👀👀👀👀👀👀👀

Comments

Popular posts from this blog

सुख,सुखी सवैया

गगनांगना छंद विधान

विज्ञ छंद सागर