नारी
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~~~~~~~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
. *विधाता छंद विधान*
१२२२,१२२२,१२२२,१२२२ = २८ मात्रा
१२२२,१२२२,१२२२,१२२२ = २८ मात्रा
१,७,१५,२२वीं मात्रा लघु अनिवार्य
. 🤷♀ *नारी* 🤷♀
बताओ कौन है ऐसा, मही नारी न हो जाया।
सिखा ईमान भी इनको,सखे बेबात भरमाया।
करे हम मान नारी का, सदा इंसान कहलाएँ,
इबादत हो अमानत की, यही संसार में माया।
करें सम्मान जननी का,विरासत ये चलाती है।
सभी दुख झेलने वाली,सुखी संतान भाती है।
गिरेबाँ झाँकले खुद के,इनायत गौर कर लेना,
हमें राहे दिखाकर क्यों,अरे अपमान पाती है।
तलाकों की कहानी में,बहे जज्बात भी जाने।
किए जो त्याग नारी ने, उन्हे यारों बना गाने।
धरा पे कौन माते सी,बसे आश्रम कहीं रहती,
बताओ किन गुनाहों का, यहाँ ये दंड है मानें।
कहानी नारि की ऐसी, जिसे मानी,जमाने में।
घुली हो दूध में चीनी, यही लायक समाने में।
बने जो देश के नेता, वही सोचें विधानों को,
मिले अधिकार नारी के,सँभालेंगी कमानों में।
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✍©
बाबू लाल शर्मा "बौहरा" सिकंदरा,दौसा,राज.
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