कलाधर छंद

👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀
~~~~~~~~~~~~~`~~बाबूलालशर्मा
.             *कलाधर छंद*
विधान:-- २१ × १५ + गुरु
चार चरण सम तुकांत

.                 *हरीतिमा*   
.                      🌞
बात मान आज भ्रात तात मात पूत हेतु,
छाँव हेतु ठाँव हेतु , पेड़ भी जरूर हो।

काष्ठ फूल औषधीय पर्ण वर्ण हरीतिमा,
वन्य जीव जन्तु पेड़ मानवी गरूर हो।

मेघ नीर ईश तुल्य मान अन्न कद्र भोग,
खेत से किसान पूत हार के न दूर हो।

पेड़ रोपि रक्ष भूमि भारती सुमात गात,
पेड़ पौध वन्य खेत नीर धीर नूर हो।

.                  *ग्रीष्म*
.                     🌞
गाय बैल ऊँट भैंस, शेर बाघ और जीव,
काँपते सभी पियास, ग्रीष्म ताप जोर से।

तीतरी बटेर कीर, मोर चील और बाज,
ढूँढते सभी सुछाँह, जागते ही भोर से।

सो रहे खुली जमीन,खाट डाल चौक रात,
सावधान होय रात, ताप और चोर से।

भिन्न भिन्न भाँति लोग,ग्रीष्म से बचाव सोचि,
भूलते न नीर खींच,न्हाय पीय डोर से।
.                👀👀👀
✍©
बाबू लाल शर्मा, बौहरा
सिकंदरा, दौसा,राजस्थान
👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀

Comments

Popular posts from this blog

सुख,सुखी सवैया

गगनांगना छंद विधान

विज्ञ छंद सागर