बनें गुरू तब मीत
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~~~~~~~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
. 💥 *बनें गुरू तब मीत* 💥
. (दोहा छंद)
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~ १ ~
द्रोण सरीखे गुरु बनो,भली निभाओ रीत।
नहीं अँगूठा माँगना, एकलव्य से मीत।।
~ २ ~
एकलव्य की बात से, धूमिल द्रोण समाज।
कारण जो भी थे रहे, बहस न करिए आज।।
~ ३ ~
परशुराम से गुरु बनो, विद्यावान प्रचंड।
कीर्ति सदा भू पर रहे, हरिसन तजे घमंड।।
~ ४ ~
गुरु चाणक्य समान ही,कर शासक निर्माण।
अमर बनो स्व राष्ट्रहित, कर काया निर्वाण।।
~ ५ ~
वालमीकि से धीर हो, सिय पाए विश्राम।
लव कुश घोड़ा रोक दें, करें प्रशंसा राम।।
~ ६ ~
दास कबीरा की तरह, बनना गुरु बेलाग।
ज्ञानी अक्खड़ भाव से, नई जगा दे आग।।
~ ७ ~
गुरु नानक सा संगठन, सत्य पंथ आचार।
देश धरा हित त्याग में, करना नहीं विचार।।
~ ८ ~
तुलसी जैसी लेखनी, कालिदास सा ज्ञान।
सूरदास सा समर्पण, तब कर ले गुरु मान।।
~ ९ ~
मीरा और रैदास सी, अविचल भक्ति सुजान।
गुरु वशिष्ठ से भाग्य लिख,होना गुरू महान।।
~ १० ~
तिलक गोखले सा हृदय,रखना आप हमेश।
देश हितैषी कर्म हो, बनो गुरू परमेश।।
~ ११ ~
रामदेव सा योग कर, तानसेन से गीत।
शर्मा बाबू लाल कहि, बने गुरू तब मीत।।
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✍©
बाबू लाल शर्मा, बौहरा
सिकंदरा, दौसा,राजस्थान
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