पाँलीथिन
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~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
🤷♀ *पाँलीथिन* 🤷♀
. (मुक्तक,२८मात्रिक)
. ✍✍
न पाँलीथिन यहाँ होता,
बया के घोंसले बसते।
गई चीलें कहाँ बोलो,
यहाँ थे गिद्ध जो रहते।
मिटाता वंश पालीथिन,
गये पशु जान से मारे।
धरा ज्यों ढँक रही मानो,
करो भी मुक्त अब कहते।
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कहे सरकार अब ऐसे,
बचाओ आज धरती को।
दिखे अब से न पाँलीथिन,
बनालो स्वच्छ जगती को।
रखो इससे सदा दूरी,
न पालीथिन कहीं दीखे।
उठा सौगन्ध कहते है,
बचानी आप धरती को।
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मिटाओ नाम पाँलीथिन,
घरेलू काम से अपने।
उठा के भेजिये उसको,
बना कचरा अभी खपने।
बनाओ मुक्त पाँलीथिन,
धरा,अब स्वच्छ है रखनी।
जगत कल्याण की सोचे,
सफल होंगे तभी सपने।
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✍©
बाबू लाल शर्मा, बौहरा
सिकंदरा,303326
दौसा,राजस्थान,9782924479
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