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Showing posts from October, 2019

लेख. गोबरधन

🐂🐃🐑🌳🦚🦜🦈🐒🦄🐘 *निज मत* --बाबूलालशर्मा    💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫 .            *गोबरधन* .               --------- गोधन  पशुधन धन बड़े, कृष्ण  बढ़ाये मान! व्यापक गोबरधन हुआ, करिये मान सुजान!! गोवर्धन को हम *गोबरधन* भी कहते रहें तो क्या हानि है। गोवर्धन एक व्यापक शब्द है जो हमे गो(पृथ्वी),गोवंश एवं किसान के प्रति सम्मान व संरक्षण का बोध कराता है । *गोबरधन* और भी व्यापक शब्द है जो हमे समस्त पशुधन व किसान कृषक ,कृषि कर्मी ,मजदूर सभी के सम्मान ,स्वाभिमान,व संरक्षण का बोध करवाता है । कृष्ण का पर्वतधारण कर जन रक्षा करना हमारे सैनिकों के सम्मान त्याग  बलिदान ,व शौर्य का सूचक है। हम मुंशी प्रेमचंद के साहित्य में खेत, गाँव,गोबर कृषक,गाय,मजदूर के दृश्य देखलें, चाहे हमारी संस्कृति मे ,पंचामृत,हवन पूजा,चौका,आँगन ,आयुर्वेद, में गोबर का पंचगव्य महत्व देखलें ,चाहे, कृषि व खाद में गोबर व पशुधन का महत्व देखलें चाहे वर्तमान की जैविक कृषि देखलें हम पशुधन, गोबर ,कृषक, को नकार नही सकते है। यदि भौतिकता की भूल भूल...

गोबरधन

.               🐑   *गोवरधन*  🐑 .                      (दोहा छंद) गिरि गोवर्धन नख धरे, करे  वृष्टि से रक्ष! दिए चुनौती इन्द्र को, जन गोधन के पक्ष!! महिमा हुई पहाड़ की, करे परिक्रम लोग! मानस गंगा पावनी, गिरिधर  पूजन भोग!! द्वापर  में  संदेश  वर, दिया  कृष्ण  भगवान! गो,गोधन पशुधन भले,कृषि किसान सम्मान!! भारत कृषक प्रधान है, गोधन वर धन मान! कृष्ण रूप सैनिक सभी, यह  गोवर्धन ज्ञान!! गिरि वन वन्य बचाइये, नीर नदी तालाब! भू संरक्षण  से बचे, यह  प्राकृत  नायाब!!                   http://hindibhashaa.com/साहित्यकार-बाबू-लाल-शर्म/ सादर✍© बाबू लाल शर्मा,बौहरा सिकंदरा,दौसा, राजस्थान 🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳

गोबरधन

🐄🐑🐃🐄🐇🐃🐄🐇🐐🐄 ~~~~~~~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा .            🌞 *गोबरधन*🌞 .              कुण्डलिया-छंद         🌞💫🌞💫🌞💫🌞💫🌞💫 गोवर्धन  पूजा करे, सब मिलकर के आज। गोधन,पशुधन,रक्षिए, खेत किसानी काज। खेत  किसानी  काज, कृष्ण गोवर्धन  धारे। करी  सुरक्षा   मेह , इन्द्र  जब   बरसे  भारे। सैनिक खेत  किसान, हमे प्यारा हो गोधन। पशुधन   को  दें  मान, करें पूजा  गोवर्धन। 🌞💫🌞💫🌞💫🌞💫🌞💫 दाल  चूरमा  बाटियाँ, गोबरधन   त्यौहार। बने  सवाया भोज है, सधे सभी  व्यवहार। सधे सभी व्यवहार,भोगअनकुट का खाते। मिले  बाँट जो खाय, परम पद वे ही पाते। राजा हो  या  रंक, नारि  हो वृद्ध या बाल। दीन  गरीबी  बैर, गले न फिर  कोई दाल। 💫🌞💫🌞💫🌞💫🌞💫🌞 गोधन के मेंहदी लगा,करिये खूब सिंगार। चारा  पानी  दीजिए, करिये प्यार  दुलार। करिए  प्यार  दुलार, रीढ़...

रूप चतुर्दशी

👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀 --------------------------------बाबूलालशर्मा .            *रूप चतुर्दशी ,छोटी दीवाली* .                         *दोहा छंद* .                        👀🌞👀 चतुर्दशी  है रूप की, मन का रूप निखार! मिष्ठ भाव मन में रखें, मनो मिटाओ खार!! रूप बदल परिवार का, बदल  पुरातन रीत! सोच समाजी बदलिए, विश्व भिव मन प्रीत!! रूप बदल व्यवसाय के, शुद्ध बने व्यापार! रिस्वत वस्तु मिलावटी, नहीं चले व्यवहार!! सत्ता रूप निखारिये, मानवता अधिकार! संविधान  सद्भावना, राम  राज्य साकार!! रोजगार  के  रूप  में, करना अब  विस्तार! काम मिले हर हाथ को, रहे न जन बेकार!! दीवाली  हर  घर  मने, ऐसा  करो प्रबंध! चतुर्दशी  पर  नर्क में, भेज रिवाजें अंध!! आज सत्य संकल्प लो, एक दीप के साथ! स्वर्ग  बने  संसार यह, सम्मुख  दीनानाथ!! .             ...

गीत ...प्रीत सरसे

👀👀👀👀👀👀👀👀 ---------------------बाबूलालशर्मा .  *गीत*.    *प्रीत सरसे* नेह की सौगा़त पाई लग गया मन खिलखिलाने! ऋतु सुहानी सावनी में पवन पुरवाई चली है‌! मेघ छायाँ कर रहे ज्यों, भीगते आँगन गली है! मोर वन मन नाचते है फिर चले कैसे बहाने! नेह की सौगात पाई लग गया मन खिलखिलाने! गंध तन की भा रही ज्यों, गंध सौंधी सावनी सी! नेह बरसे प्रीत सरसे खेत में मन भावनी सी! दामिनी दमकी, प्रिया भी लिपट लगि साँसे बजाने! नेह की सौगात पाई लग गया मन खिलखिलाने! तितलियों को देखता मन कल्पना में उड़ रहा था! भ्रमर गाता तन सुलगता मेह रिमझिम पड़ रहा था! पृष्ठ से दो हाथ आए बँध गये बंधन सुहाने‌! नेह की सौगत पाई लग गया मन खिलखिलाने! पुष्प गंधी, है प्रिया यह इंद्रधनुष सी चुनरी तन! कजरा गजरा बिँदिया से बहका बहका लगे चमन! पहल करे मन मोर नचे तन निहारूँ मन रिँझाने। नेह की सौगात पाई लग गया मन खिलखिलाने। दीप का यह पर्व आया देहरी सजने लगी है! द्वार घर हँसते लगे सब प्रेम की पींगे पगी है! दीप का ले थाल आई पर्व दर पर वह सजाने! नेह की सौगात पाई लग गया मन खिलखिलाने! रीत निभे मन प्रीत पले द्वार देहरी दीप सजे! लक्ष्...

सरस्वती माँ वंदन गीत

👀👀👀👀👀👀👀 ~~~~~~~~बाबूलालशर्मा .          *लोकगीत - माँ सरस्वती* ढूँढाड़ी-राजस्थानी आँचलिक भाषा .                ●●● म्हे तो आज मनावाँ मनड़ै , सागी सुरसति माई नै। सुरसति मैया सुर दै मीठो, कोयलड़ी सी बोली। अरज गरज म्हे कराँ आपरी, प्रीत राग रस घोली। खोल ज्ञान रो द्वारो मायड़, म्हें तो आयाँ शरणाँ। जल़ै दीवलो विद्या बाती, बैठ्या थाँकै चरणाँ। देश धरा रो नाँव उजाल़ा, मिनख बणाँ जगताई नै। म्हें तो आज मनावाँ मनड़ै, सागी सुरसति माई नै। मात शारदा विद्या देवी, बात ज्ञान री कहवै। वीणा ,पोथी सागै राखै, बैठ हंस पै रहवै। देवाँ, मिनखाँ सबनै विद्या, ज्ञान मान दातारी। सभ्य बणावै, दे संस्काराँ, सुर संगीताँ धारी। दोहा छंद गीत वै गज़लाँ, चौपाई कविताई नै। म्हे तो आज मनावाँ,मनड़ै, सागी सुरसति माई नै। पढ़ै लिखै जद जीवन सुधरै, अनपढ़ मिनखाँ रुल़ता। काज चाकरी हित वै अपणै, डोलै रोता फिरता। माँ बापाँ नै दौरा लागै, पाँचा मैं शरमावै। पीसा धेला मोंठ मँजूरी, अनपढ़ गाँठ कटावै। आपाँ विद्या पढ़ल्याँ लैर, भायाँ सत सुखदाई नै। म्हे तो आज मनावाँ मनड़ै, सागी सुरसति माई न...

प्रकाश

👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀 ~~~~~~~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा .                      *प्रकाश* .                      (दोहा) .                      👀👀 स्वयं प्रकाशित पिण्ड है, सौर मंडले अर्क। आकाशी गंगा  बहुत, ज्ञान खगोली  तर्क।। सृष्टि  समूचे  विश्व  में, दाता  सूर्य  प्रकाश। प्राकत का सृष्टा यही,सविता जैव विकास।। करते  धरा  प्रकाश  जो, तारे  सूरज  चन्द। ज्ञान प्रकाशित कवि करे,अरु विज्ञानी वृन्द।। दीपक,वीर सपूत सम,निज का दे बलिदान। द्वार   प्रकाशे  दीप  वे, प्राण  तजे भू  मान।। दीपमालिका पर्व पर, जले दीप चहुँ ओर। जल दीपक संदेश  दे, आएगी  शुभ भोर।। .                     👀👀👀 ✍© बाबू लाल शर्मा,बौहरा सिकंदरा,दौसा,राजस्थान 👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀

धन तेरस

👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀 ~~~~~~~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा .                      *प्रकाश* .                      (दोहा) .                      👀👀 स्वयं प्रकाशित पिण्ड है, सौर मंडले अर्क। आकाशी गंगा  बहुत, ज्ञान खगोली  तर्क।। सृष्टि  समूचे  विश्व  में, दाता  सूर्य  प्रकाश। प्राकत का सृष्टा यही,सविता जैव विकास।। करते  धरा  प्रकाश  जो, तारे  सूरज  चन्द। ज्ञान प्रकाशित कवि करे,अरु विज्ञानी वृन्द।। दीपक,वीर सपूत सम,निज का दे बलिदान। द्वार   प्रकाशे  दीप  वे, प्राण  तजे भू  मान।। दीपमालिका पर्व पर, जले दीप चहुँ ओर। जल दीपक संदेश  दे, आएगी  शुभ भोर।। .                     👀👀👀 ✍© बाबू लाल शर्मा,बौहरा सिकंदरा,दौसा,राजस्थान 👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀

दीप पर्व

🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞 ~~~~~~~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा .                 *कुण्डलिया छंद* .                       दीप पर्व .                     👀🌞👀 माटी  का  दीपक लिया, नई  रुई  की बाति। तेल डाल दीपक जला,आज अमावस राति। आज अमावस राति, हार तम सें  क्यों माने। अपनी दीपक शक्ति, आज प्राकृत भी जाने। कहे लाल कविराय, राति तम की बहु काटी। दीवाली  पर  आज, जला इक  दीपक माटी। .                    👀🌞👀 दीवाली  शुभ पर्व  पर, करना  मनुज प्रयास। अँधियारे  को  भेद  कर, फैलाना  उजियास। फैलाना  उजियास, भरोसे  पर  क्या  रहना। परहित जलना सीख,यही दीपक का कहना। कहे लाल कविराय, रीति  अपनी  मतवाली। करते   तम   से  होड़, भारती  हर  दीवाली। .        ...

दीपावली

🏉🏉🏉🏉🏉🏉🏉🏉🏉 ~~~~~~~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा .                      *दीपावली* .                         (दोहा) .                     👀🌞👀 *दीपक* एक  जलाइये, तन  माटी  का  मान। मन की करिये वर्तिका,ज्योति जलाएँ ज्ञान।। .                    👀🌞👀 *पावन* मन त्यौहार हो, तम को  करना भेद। श्रम करिये  कारज सधे, बहे तनों से  स्वेद।। .                    👀🌞👀 *वतन*  हमारा  है सखे, मनुज रहे सम भ्रात। सबका  सुख त्यौहार हो, सद्भावी  हो बात।। .                    👀🌞👀 *लीप* पोत अपने भवन, करना शुभ परिवेश। गली,गाँव से प्रांत फिर,स्वच्छ बने सब देश।। .                    👀...

दीपक

👀👀👀👀👀👀👀👀👀 ------------------------------------बाबूलालशर्मा                        *दीपक* .                    (दोहा छंद) .                      👀१👀 एक दीप बस एक ही, डरे न तम से मीत। शेर अकेले  देखिये, मन तुम रहो अभीत।। .                         👀२👀 धरा  एक दीपक जले, तारक  गगन अनंत। हिम्मत  कभी  न  हारता, तेल बाति पर्यंत।‌। .                         👀३👀 दीपक से सीखो मनुज,जलना पर उपकार। तभी देवता को लगे, दीपक  प्रिय  करतार।। .                         👀४👀 दीपक  से  दीपावली, खुशियों  का त्यौहार। दीप बिना रोशन नहीं,दीपक विविध प्रकार।। .        ...

संयुक्त राष्ट्रसंघ दिवस विशेषांक

🌍🌍🌍🌍🌍🌍🌍 *24 अक्टू. संयुक्त राष्ट्रसंघ* *दिवस विशेषांक* ~~~~~~~~बाबूलालशर्मा *१. विश्वशान्ति एवं* *मानव अधिकार*, आज जरूरत है मानव की, विश्व शांति कायम होवे। वतन मान की सोच रखें पर विश...

शरद

🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞 ~~~~~~~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा .          💥 *कुण्डलिया छंद* 💥 .                 🌹 *शरद* 🌹 .             🏉🏉 *१* 🏉🏉 सर्दी  का  संकेत  हैं, शरद  पूर्णिमा  चंद्र। कहें  विदाई मेह को, ...

प्रार्थना

👀👀👀👀👀👀👀 ~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा .        *विधाता छंद* १२२२  १२२२, १२२२  १२२२ .        *प्रार्थना* .         ✨✨✨ सुनो ईश्वर यही विनती, यही अरमान परमात्मा। मनुजता भाव मुझ में हों, बनूँ ...

गगनांगना छंद विधान

🌕🌕🌕🌕🌕🌕🌕🌕🌕🌕 ~~~~~~~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा .           *गगनांगना छंद विधान* मापनी मुक्त सम मात्रिक छंद है यह। १६,९ मात्रा पर यति अनिवार्य चरणांत २१२ दो चरण सम तुकांत,चार चरण का छंद {सुव...

बेटी - माँ

👀👀👀👀👀👀👀 ~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा .           *बेटी -माँ* .            🤱🤷‍♀ .           ( मुक्तक ) समाजी सोच बदलो तो, कुरीती छोड़ दो अब तो। जमाना चाँद पर पहुँचे, पढाई छोड़ मत अब तो। विकासी बा...

सोरठा छंद विधान

👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀 ~~~~~~~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा .            *सोरठा छंद विधान* सोरठा चौबीस मात्रिक छंद है। चार चरण होते हैं। दोहे से उलट - विषम चरण ११ मात्रिक और सम चरण १३ मात्रिक होते हैं। वि...

करवा चौथ पर नारी चिंतंन

👀👀👀👀👀👀👀 ~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा .       *चौपाई छंद* .      (करवा चौथ व्रत .     पर नारी का चिंतन) .            👀👀 शम्भु प्रिया हे उमा भवानी। छटा तुम्हारी शिवा सुहानी।। करवा चौथ मात व्...